‘ ख़त’ ये सूखे हुए पत्ते मुहब्बत भरे ख़त हैं जो कभी लिखे थे बहार ने मौसम के नाम पढ़ लिए, बीत गए रीत गए तो हटा दिए। ******** ‘डायरी’ डायरी के कुछ पन्ने चहकते हैं, महकते हैं और कुछ में है सीलन आँसुओं की कुछ ख़ामोश हैं इंतज़ार में छुअन की कि कोई अहसास […]
क्षणिका
क्षणिकाएँ
(1) प्रीत की रीत मन बदरंग, जुबां काली दिल में पाप, कर्मों में छल कौन अपना, कौन पराया पीठ पीछे वार, सामने दुलार आँखों में धोखा, दिखावे की परत अपनों से बेगानापन, आत्मीयता का अभाव इस दुनिया के रंग से दुखता दिल देख देख सिसकती आत्मा जीते जी न निभाई कभी प्रीत की रीत और […]
क्षणिकाएं…..
१ करके खता भी हर बार तुम खफा होते रहे , तेरी राहों में चिरागे रोशनी फिर भी ना हमने बुझने दी !!! २ हो जाए खत्म दास्तां यूंही नहीं मुमकिन , रह जाते हैं कहीं तो बाकि निशां उसके !!! ३ तुम कहते हो ज़िंदगी से और मोहलत मांग लूं मगर […]
क्षणिका
क्षणिका खून से सींच उगाया है दरख़्त उसकी कोई भी शाख़ हिला दो फूल नहीं केवल लम्हे झड़ते हैं लम्हों से निकाल कर इतिहास तोड़-मरोड़कर हर अहसास मेरे वतन के लोग लड़ते हैं। –अनिता
छलिया
छलिया मेरा दिल द्रवित करके सबकुछ ले गया छोडा तो सिर्फ मन में पछतावा “मैंने उसपर क्यों भरोसा किया“?
क्षणिका
कल रात सपने में पाँव देखे थे…. चारों तरफ आसमान था सिर्फ आसमान… जब मैंने पाँव के बदले पंख मांग लिये तो आसमान रास्तों में तब्दील हो गया अब मैं हूँ पंख हैं और रास्ते हैं और अम्बर गुम है…!! …रितु शर्मा….
क्षणिका
बाँट सकु गम तुम्हारे बस इतनी तमन्ना है, खुशियों में गर शामिल ना करो तो कोई गम नहीं है ||| — कामनी गुप्ता
क्षणिका
सूरज को मान हैं अपनी रौशनी पर शायद उसने अभी तेरी चाहत को मेरे पहलू में नही देखा ….!! …रितु शर्मा
क्षणिका
ईश्वर ने जड़ों में दुख कुछ वैसे ही डाला जैसे बड़ी श्रद्धा से सीधा आंचल कर तुलसी में जल देती हू ..!! …रितु शर्मा
क्षणिकाएँ
क्षणिकाएँ “मौन की भाषा” ‘मौन की भाषा आसान नहीं होती’ “प्रेम में मौन रहकर भी कुछ लोग सब कुछ कह जाते हैं” — “मौन” ‘काश! तुम समझ पाती’ “कि मैं मौन रहकर भी इजहार कर रहा हूँ” — “बातें” सारी बातें कही नहीं जाती ‘अनकही’ बातें भी तुम समझा करों। – अमन चाँदपुरी