क्षणिका: सीमाएं
अक्सर आदतन/ तथाकथित बुद्धिजीवी / सुशोभित करते हैं / अपनी बुद्धिमता से/ चमचों और भक्तों की सीमाएं / और …इनकी
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Read Moreचांद, तुम घुमंतु साहित्यकार हो या नहीं घुमंतु तो हो ही! कहीं टिककर रहना तो तुमने सीखा ही नहीं वैसे
Read More-1- चुनावी रण में दिखें/ शराब-शबाब हथियार/ पर… जागरूक मतदाता/ न करे वोट बेकार! -2- बैलट पर बुलेट/ है
Read Moreनाचो नाचो कि रश्मियों का राग गाकर सूर्य नाच रहा है, चंद्रमा अपनी शीतल किरणों से खुशी की कथा बांच
Read Moreरोटी अजब नज़ारा/ गरीब को… न वक्त पे रोटी/ अमीर को… न रोटी को वक्त अब बतलाओ … कौन बेचारा?
Read Moreजिंदगी जिंदगी को सलीके से जीना है, तो मत रखो मन में मलाल, बजने दो आनंद के बाजों को, नाचो
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