क्षणिका : आँखमिचौनी
अजनबी व्यवहार के साथ पहचाने चेहरे आँख बचाकर जब सामने से गुजरते देखे अहसास हो गया बुझती उम्र का —
Read Moreअजनबी व्यवहार के साथ पहचाने चेहरे आँख बचाकर जब सामने से गुजरते देखे अहसास हो गया बुझती उम्र का —
Read Moreआंकड़े बोलते हैं आंकड़े आकर्षित करते हैं आंकड़े हंसाते हैं आंकड़े रुलाते हैं आंकड़े दिल बहलाते हैं आंकड़े सोचने को
Read More1 तुम्हारी याद जैसे ठंडी चाय खो चुकी गर्माहट बिसर चुका है स्वाद ।। 2 सुनो दंभी पुरुष मेरे आखों
Read Moreचंद शेर आपके लिए एक। दर्द मुझसे मिलकर अब मुस्कराता है जब दर्द को दबा जानकार पिया मैंने दो. वक्त
Read Moreनहीं हुआ मिलन राम का सीता से पुरुरवा का उर्वशी से लैला का मजनूं से सोनी का महिवाल से शीरी
Read Moreयह सप्ताह —- मति भ्रष्ट है सबकी … ना काम न धंधा, ऊपर से मुफ्त का पंगा, जेब भी खाली
Read Moreआशा ही जीवन है, आशा ही ज़िंदगी है, आशा ही विश्वास है, आशा ही बंदगी है. आशा के बल पर
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