विश्व हिंदी दिवस पर दिली बधाई स्वीकारें मित्रों…..जय माँ शारदा! “गीतिका” हिंदी की पहचान पूछते, बिंदी का अपमान पूछते दशों दिशाओं में है चर्चित हिंदी का नुकशान पूछते लूटा है लोगों ने भारत बोली भाषा हुई नदारत अंग्रेजों ने बहुत सताया मुगल तुग़ल घमसान पूछते।। भारतीय भाषा न्यारी है फिर भी अंग्रेजी प्यारी है मन […]
गीतिका/ग़ज़ल
छन्द मुक्त गजल
एक रात में रद्दी, अखबार हो क्या? खून के प्यासे, तलवार हो क्या? करते हो कविता, बेकार हो क्या? डरते हो खुद से, गद्दार हो क्या? लौटाया सबने, पुरस्कार हो क्या? सर पर हो चढ़ते, बुखार हो क्या? बढ़ते ही जाते, उधार हो क्या? रुलाते हो सबको, प्यार हो क्या? जीत की बधाई, हार हो क्या? सबकी है […]
गज़ल
लब पे आहें नहीं और आँख में आँसू भी नहीं दिन करार से कटते हों मगर यूँ भी नहीं ============================== तुझे रोकूँ भी तो किस हक से मुझे तू ही बता तू मेरा दोस्त भी नहीं है और अदू भी नहीं ============================== कुछ मुझे भी कर दिया हालात ने पत्थर कुछ तेरी बात में वो […]
ग़ज़ल
अभी मर्ज़ की कुछ दवाई नहीं है। कहीं भी यूँ लाजिम ढिलाई नहीं है। मुखालिफ़ वही हैं नई योजना के, कि हिस्से में जिनके मलाई नहीं है। नई खूबियों का पता हो भी कैसे, नई खेप जिसने उठाई नहीं है। बहुत देर तक साथ देगा नहीं फिर, जो कपड़े की उम्दा सिलाई नहीं है। भला […]
ग़ज़ल
मत बैरी जग को बतलाना। जब शाम ढले तब आ जाना। नाम वतन का यार डुबाना। इससे तो अच्छा मर जाना। शायद है कोरोना कारण, चेहरों पर इक भय अंजाना। लड़ना भिड़ना ठीक नहीं अब, पहले दुश्मन को समझाना। हम सबसे क्या कुछ कहता है, शहरी पौधों का मुरझाना। — हमीद कानपुरी
ज़िन्दगी फिर मुस्कुराना चाहती है
दूर हर मुश्किल भगाना चाहती है ज़िन्दगी फिर मुस्कुराना चाहती है दोस्ती होती सदा सच्ची वही जो जान यारों पर लुटाना चाहती है कौन परिश्रम को पराजित कर सका है हर बला दामन छुड़ाना चाहती है आसमानों से न पूछे दूरियां वो हौंसलों के पर लगाना चाहती है प्रीत मेरी है रुहानी ‘रागिनी’ सी गीत […]
गजल
सफ़र में रहो तुम ,मुलाकात होगी, मिलोगे अगर तो बहुत बात होगी। हैं चंदा ये तारे बहारों की दुनिया, अगर तुम हो तो फिर हसीं रात होगी। नहीं मेरे बस में मेरा मन है देखो, मुझे थाम लो तो ये सौगात होगी। तुम्हारे बिना मैं अधूरी हूँ साजन, मिलो जो अगर वस्ल की रात होगी। […]
गजल
चलो आज सुर को मिलाते चलो ना, खुशी का वही गीत गाते चलो ना। वतन के लिए आज दिन खास है ये, चलो साथ खुशियाँ मनाते चलो ना। अमर वीर सैनिक हमारे वतन के, है वीरों की गाथा सुनाते चलो ना। हो मुश़्किल कोई भी मगर राह चलना, यूँ विश्वास मन में जगाते चलो ना। […]
गजल
दुःख जिसके ज़माने के अदंर है वो ही तो भोले शंकर है आये कैसे बहार उसमें जिसकी ये ज़मीं ही बंजर है देख ले बिछड़कर नहीं मरा हूं मैं अब ये हालात कितने बेहतर है। थोड़े में ही भर ही आते हैं। मेरे आंसू ही अब समंदर है
ग़ज़ल
दूर हर मुश्किल भगाना चाहती है ज़िन्दगी फिर मुस्कुराना चाहती है दोस्ती होती सदा सच्ची वही जो जान यारों पर लुटाना चाहती है कौन परिश्रम को पराजित कर सका है हर बला दामन छुड़ाना चाहती है आसमानों से न पूछे दूरियां वो हौंसलों के पर लगाना चाहती है प्रीत मेरी है रुहानी ‘रागिनी’ सी गीत […]