ग़ज़ल
अपने हाथ से तुमने हरेक किस्सा मिटा डालाभंवर के पार थी कश्ती किनारे पर डुबा डाला। मुझे कब चाह थी
Read Moreतुम जो बिछड़े तो मैं बिखर जाऊंगा । तन्हा , बताओं कैसे मैं सहर पाऊंगा । बातें बन जाती बिगड़ी भी बनाएं
Read Moreदहशते दर्दे कोरोना हर तरफ़ दिखाई देता है , जज़्बा – ए – मोहब्बत भी दिलों में दिखाई देता है
Read Moreमेरे मालिक मेरे मौला ये क्या दुनिया बनाई है किसी के पास खाने को मगर बह खा नहीं पाये तेरी
Read More