ग़ज़ल – बीते कल को हमसे वो अब चुराने की बात करते हैं
सजाए मौत का तोहफा हमने पा लिया जिनसे ना जाने क्यों वो अब हमसे कफ़न उधार दिलाने की बात करते
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Read Moreछू के साहिल को लहर जाती है । रेत नम अश्क़ से कर जाती है ।। सोचता हूँ कि बयाँ
Read Moreयूँ जिंदगी के वास्ते कुछ कम नहीं है वो । किसने कहा है दर्द का मरहम नहीं है वो।। सूरज
Read Moreपत्थर से चोट खाए निशानों को देखिए । बहती हुई ख़िलाफ़ हवाओं को देखिए ।। आबाद हैं वो आज हवाला
Read Moreशिकायत है अगर तो फिर शिकायत क्यूँ नही करते सहोगे जुर्म यूँ कब तक बगावत क्यूँ नही करते हमें बदनाम
Read Moreकह रहे हैं लोग सब ऐसा हुआ वैसा हुआ असलियत लेकिन ख़ुदा ही जानता क्या हुआ काम सौ अच्छे किये
Read Moreदर्द की ग़म की खुशी की बात कर कर मगर तू ज़िन्दगी की बात कर छोड़ भी बातें सियासतदान की
Read Moreमिले हर दर्द की अब तो दवाई चाहिये मुझको तुम्हारी कैद से सचमुच रिहाई चाहिये मुझको कुबूलो सब गुनाहो को
Read Moreखिला खिला ये रूप का गुलाब क्या कहना निगाह से छलक रही शराब क्या कहना दयार में कयी हसीन और
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