ग़ज़ल
सिला दिया है मेरे दिल में कुछ उतर के मुझे । जला गया जो गली से अभी गुजर के मुझे
Read Moreअनुपम छवि है जिसकी हर किरदार में माँ कहे जग इसको इस संसार में अपने लहू से पाल्के धरती पर
Read Moreपलकों में ही अश्रु संजोकर पीना सीख लिया , रोते – रोते हँसकर मैंने जीना सीख लिया, तेरी खुशियों में प्रिय
Read Moreयाद तेरी लहराती ऐसे ! लाज यों ही आ जाती ऐसे !! तुम जैसी निर्लज्ज है पुरवा , छेड़छाड़
Read Moreमेरे मालिक मेरे मौला ये क्या दुनिया बनाई है किसी के पास खाने को मगर वह खा नहीं पाये तेरी
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