ग़ज़ल
ज़रा सी ज़िंदगी के वास्ते क्या-क्या गँवाया है । कभी रातों जगाया है कभी रातों सुलाया है ।। ज़रा बैठो
Read Moreजमाने को बताना मत वजह हसने व रोने की | अपनी हर हकीकत की अपने पाने व खोने की ||
Read Moreअँधेरी रात में भी भोर की आस रखना तुम | अँधेरा नित नहीं रहता यही विशवास रखना तुम || घृणा
Read Moreआओ फिर से हम नये, उपहार की बातें करें प्यार का मौसम है, आओ प्यार की बातें करें। नेह की
Read Moreकितने सैलाब थे तूफान थे इन आँखों में ये बता तू मेरी इन आँखों में ठहरा कैसे? इसमें कुछ तेरी
Read Moreअभिसार में किसी के खनकती हैं चूड़ियाँ । परिणय की सेज पर तो महकती हैं चूड़ियाँ ।। जिनके कई हैं
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