“उलझे हुए सवालों में”
उग आये शैवाल गाँव के तालों में पेंच फँसें हैं उलझे हुए सवालों में करूँ समर्पित कैसे गंगा जल को
Read Moreउग आये शैवाल गाँव के तालों में पेंच फँसें हैं उलझे हुए सवालों में करूँ समर्पित कैसे गंगा जल को
Read Moreमुसीबत यार अच्छी है पता तो यार चलता है कैसे कौन कब कितना, रंग अपना बदलता है किसकी कुर्बानी को
Read Moreकोई हंसती हुई सूरत नहीं देखी जाती अब तो इस शहर की हालत नहीं देखी जाती रश्क करते हैं सभी
Read More