ग़ज़ल : सोच हो गई ऐसी !!
यहां विदेशी शरण पा रहे इनके कई हितैषी ! देश की चिंता यहां किसे है , मन भाये परदेसी !!
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Read Moreगर्भ में बेटी पले मार दी जाती है अजन्मी बेटी दुनिया देख नही पाती है सभी कहते है कुल का
Read Moreकल पुर्जों पर ही यह जीवन, यदि मानव का निर्भर होगा। नई सदी में ज़रा सोचिए, जीना कितना दुष्कर होगा।
Read Moreसफ़र को छोड़ कश्ती से उतर जा। किसी के नाम खुशियां अपार कर जा। नहीं मोहताज हुनर किसी मुकाम का,
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