गज़ल
नफरत से ना ठान पुचकार चले हैं तौफ़ीक़ से कब कोई सरोकार चले है| मुझसे बतिया फिर हमी से दूरी
Read More2122 1212 22 बात दिल की जुबान तक आई । कोई हसरत उफ़ान तक आई ।। मैं नहीं बन्द कर
Read More2122 1212 1122 22 है कोई तिश्नगी जरूर तेरी आँखों में | मीठे एहसास का सरूर तेरी आँखों में ||
Read More2122 1212 22 हौसला फिर कोई बड़ा रखिये । खुद के होने की इत्तला रखिये ।। बन्द मत कीजिये
Read More1222 1222 122 तुम्हारी बज्म में इक शाम तय है । फ़िजा में इश्क़ का अंजाम तय है ।। सफाई
Read Moreबात उसकी आसमानी देखिए । मर रहा आंखों का पानी देखिए ।। फिर किसी फारुख की गद्दारी दिखी । बढ़
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