गज़ल
कुछ भी तो नहीं बदला ना शाम ना सहर में, सबकुछ वही है लेकिन रौनक नहीं शहर में, बना दिया
Read Moreकौन कहता है कि वो फंदा लगा करके मरा इस व्यवस्था को वो आईना दिखा करके मरा। ज़ु़ल्म से लड़ने
Read Moreजिन्दगी आगे बढ़ेगी कब तलक काठ की हाँडी चढ़ेगी कब तलक लहर आयेगी बहा ले जायेगी सब रेत में मूरत
Read Moreचाँदनी रात, महकता चंदन । खिल उठा देख कुमुद का यौवन। * हवा मे रात की रानी महकी दूर महका
Read Moreदर्द सहना अभी आया नहीं है शेर कहना अभी आया नहीं है बात ख़ुद से न अब तक हो सकी
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