रहने की आदत हो गयी है
मुझे अंगार में रहने की आदत हो गयी है किसी के प्यार में रहने की आदत हो गयी है फ़लक
Read Moreमुझे अंगार में रहने की आदत हो गयी है किसी के प्यार में रहने की आदत हो गयी है फ़लक
Read Moreमेरे अक्स में फिर अक्स तेरा न लगे। जुस्तजु न रहे तेरी कोई रिशता न लगे। तुझे भूलने की नाकाम
Read Moreगीत काव्य, मात्रा भार- 14, नदिया किनारे गाँव रे कहीं ऊँच कहीं खाँव रे चकवी चकवा गुटुरावें झुंगी झाड़ी झनकाव
Read Moreवो मजे में चूर हैं, बस इसलिए मग़रूर हैं हम मजे से दूर हैं, बस इसलिए मजदूर हैं आज भी
Read Moreतेरे आने से मन चहकने लगे। हो न ऐसा कि तू बहकने लगे। नाम की तेरे चुड़ियाँ पहनू हो न
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