मुझसे ज़रा बचकर, निकलने लगे है लोग कुछ बात होगी मुझमें, जलने लगे है लोग क्या मैं भी इस शहर में मशहूर हो रहा हूँ या यूँ ही..रंग अपना बदलने लगे हैं लोग इल्म है उन्हें भी मुझे रोकना है मुशकिल या यूँ ही…. साथ मेरे चलने लगे हैं लोग नाकामियों पे […]
गीतिका/ग़ज़ल
गज़ल : ये कैसा परिवार हुआ
मेरे जिस टुकड़े को दो पल की दूरी बहुत सताती थी जीवन के चौथेपन में अब, वह सात समन्दर पार हुआ रिश्ते नाते -प्यार की बातें , इनकी परवाह कौन करे सब कुछ पैसा ले डूबा, अब जाने क्या व्यवहार हुआ दिल में दर्द नहीं उठता है भूख गरीबी की बातों से धर्म देखिये […]
वो हलकी हलकी बारिशें
वो हलकी हलकी बारिशें मुझे अब भी याद है न साथ होके भी तू मेरे ही साथ है. हर बात कर ली मैंने जब दूर जा रही वो अब भी अधूरी है जो असली बात है. झरना सा झर रहा था आँखों से मोती का मैं चुन न पाया उनको, मलाल आज है. उसकी रजा […]
ग़ज़ल…
ऐ हसीं ता ज़िंदगी ओठों पै तेरा नाम हो | पहलू में कायनात हो उसपे लिखा तेरा नाम हो | ता उम्र मैं पीता रहूँ यारव वो मय तेरे हुस्न की, हो हसीं रुखसत का दिन बाहों में तू हो जाम हो | जाम तेरे वस्ल का और नूर उसके शबाब का, उम्र भर […]
गीतिका
तेरी चाह में कुछ कर जाऊं तो अच्छा यूं तनहा जीने से मर जाऊं तो अच्छा जब माली ही न रहा इस गुलशन का टूट शाख से बिखर जाऊं तो अच्छा प्यार तेरा न पा सका, कोई बात नहीं तेरी यादों संग ही तर जाऊं तो अच्छा बदल सकी न जो लकीर इन हाथों की […]
सिर्फ़ आंसू ही सही कुछ मगर दिया तूने
मिरे वज़ूद को दिल का जो घर दिया तूने इश्क़ की राह को आसान कर दिया तूने ख़लिश मैं ओस की महसूस करूं फूलों में दिल के एहसास को कैसा असर दिया तूने रहेगी याद ये सौग़ात उम्र भर तेरी सिर्फ़ आंसू ही सही कुछ मगर दिया तूने न कोई नक्श-ए-पा है न कोई मंजिल […]
ग़ज़ल
वस्ल क्या देता हिज्र देता गया डूबने को इक भंवर देता गया बन नही पाया जो मेरा हमसफर काली रातों का सफर देता गया भटकने के वास्ते वो सुबहो शाम अपनी गलियों की डगर देता गया प्यास बुझने ही न पाये उम्र भर प्यासा दिल प्यासी नज़र देता गया खूब दी उसने निशानी प्यार की […]
वक़्त की नजाकत
भुला गम ज़िन्दगी को नए सिरे से जीना सीखो देख वक़्त की नजाकत खुद को बदलना सीखो मिटा दिल की गहराईयों से नाम उस बेवफा का पलट कदम, नयी राह पर तुम चलना सीखो दे मीठी कशिश, दिखाता ख्वाब अपना बनाने के सब भुला, आँखों के आँसू को तुम पीना सीखो हटा उदासी के बादल, […]
गीतिका
जब पवित्र जल में हलाहल विष घुल जाता है तब तब पवित्र जल भी पूर्ण जहर बन जाता है दुर्जनों का कुसंग जीवन में जब जब है आया सुसंस्कारित सज्जन भी तब दुर्जन बन जाता है शंका संदेह का शूल चुभता है जब मनुज मन ह्रदय में कुभावो का आवेश घर कर जाता है उलझा […]
ग़ज़ल : ख्वाब
ख्बाब था मेहनत के बल पर , हम बदल डालेंगे किस्मत ख्बाब केवल ख्बाब बनकर, अब हमारे रह गए हैं कामचोरी , धूर्तता, चमचागिरी का अब चलन है बेअरथ से लगने लगे है ,युग पुरुष जो कह गए हैं दूसरो का किस तरह नुकसान हो सब सोचते है त्याग , करुना, प्रेम , क्यों […]