ग़ज़ल
दिल अदद पत्थर हुआ यूं चोट खाई ज़िंदगी । आंख ही बहती रही बह ना सकी ये ज़िंदगी ।। वो
Read Moreचेहरे से हटा ले जुल्फों को जरा चांद जमीं पर आने दो मैं जुगनू बन कर चमकूंगा जरा चांद जमीं
Read Moreदिल को फिर से चाहतों का तकाजा हुआ है आंख के तट पे आंसुओं का जनाजा हुआ है काश लम्हे
Read Moreहक़ीक़त को छुपाने से हक़ीक़त कम नहीं होती मुहब्बत की किसी भी हाल क़ीमत कम नहीं होती सहर से शाम
Read Moreजो करते थे बुराई उनकी चौराहों पर वो आ ही गये हैं देखिये दौराहों पर डगमगा रही हैं आज इमारतें
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