“गजल/गीतिका”
मापनी-122 122 122 12, काफिया-आया, रदीफ़- सनम…….. तुझे प्यार करना न आया सनम तुने दिल खिलौना बनाया सनम तुझे क्यूँ
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Read Moreपथ उनको क्या भटकायेगा, जो अपनी खुद राह बनाते भूले-भटके राही को वो, उसकी मंजिल तक पहुँचाते अल्फाज़ों के चतुर
Read Moreअगर तुम दो क़दम भी साथ आओ तो, अगर तुम हमसफ़र बन कर बताओ तो. सफ़र की मुश्किलें आसान
Read Moreमात्रा भार-16+14=30…….. देख पुराने पथपर हमने, कितने दीपक जला दिए खिली रोशनी गलियारों में, बाती से लौ मिला दिए दूर
Read Moreमात्रा भार- 28….. देता हूँ इक पुष्प जिसे गुलदस्ते में रख देना सिंचा मैंने इसे जतन से न परदे में
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