देश प्रेम
खंड खंड मैं उसको कर दूँ खाल उडेढ़ के भुस मैं भर दूँ। नजर उठाये यदि भारत पर शीश काट
Read Moreकोई सूरत हो ज़िम्मेदारियों की याद रहती है मुझे हर वक़्त अपनी बेटियों की याद रहती है बड़े शहरों में
Read Moreगज़ब हैं रंग जीबन के गजब किस्से लगा करते जबानी जब कदम चूमे बचपन छूट जाता है बंगला ,कार, ओहदे
Read Moreखुशी में ग़म में ढलती जिन्दगानी एक जैसी है जुदा हैं नाम सबके और कहानी एक जैसी है नदी दरिया
Read Moreदिलों में चाह होती है कभी ख़ंजर नहीं होते हमारे गाँव में ये बदनुमा मंज़र नहीं होते वो खुश रहते
Read Moreवफ़ा जिनमें न हो वो रिश्ते अक्सर टूट जाते हैं अगर कमज़ोर हो बुनियाद तो घर टूट जाते हैं न
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