दौर-ए-गर्दिश है मगर उसूल संभाल रखे हैं..
दौर-ए-गर्दिश है मगर उसूल संभाल रखे हैं। तूफां के साये में सच के दीप बाल रखे है॥ मुश्किल है बहुत
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Read Moreढली है शाम मग़र रात अभी बाकी है। ज़िंदगी तुझ से मुलाकात अभी बाकी है॥ हुई हैं बात अभी तो
Read Moreश्रम के बल पर जहान का आशियाँ बनाती नींव में अपने दर्द की दास्तां छिपाती . मजबूरियों की आँच
Read Moreसच्चे को सच्चा लिखता हूँ झूठे को झूठा लिखता हूँ. फिर भी दुनिया ये कहती है इस युग में ऐसा
Read Moreदेखकर सपने, छलावों से भरे बाज़ार में। लुट रही जनता, दलालों से भरे बाज़ार में। चील बन महँगाई, ले जाती
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