गीत/नवगीत

गीत/नवगीत

मधु गीति – कितनी कलियों को जगाया मैंने,

कितनी कलियों को जगाया मैंने, कितनी आत्माएँ परश कीं चुपके; प्रकाश कितने प्राण छितराये, वायु ने कितने प्राण मिलवाये !

Read More