सदाबहार काव्यालय-40
गीत पिंजरे का तोता चोंच है मेरी लाल-लाल और पंख हैं मेरे हरे-हरे आज बताता हूं मैं तुमको
Read Moreगीत पिंजरे का तोता चोंच है मेरी लाल-लाल और पंख हैं मेरे हरे-हरे आज बताता हूं मैं तुमको
Read Moreभाव गीत संबंध सुहाना है है प्रेम से जग प्यारा, सुंदर है सुहाना है जिस ओर नज़र जाए,
Read Moreमुझको इतना ज़्यादा जाने. जो भी कह दूँ वो सच माने. वो जीवन में ऐसे आया. जैसे कड़ी धूप में
Read Moreगीत यह देश तेरा भी मेरा भी अल्लाह गर हैं तेरे भगवान हैं मेरे भी है लाल लहू
Read Moreकवि नहीं हूं, ना मैं लेखक ना कोई रचनाकार हूँ दिल में उठते भाव बताने का मैं तलबगार हूँ नैनों से मैं
Read Moreबेरुखी का दृश्य यह कैसा तना है अर्थ में ही लिप्त हैं सब प्रेम पर कोहरा घना है। मार महँगाई
Read Moreइच्छा थी इस जग के हेतु, कुछ तो करके जाऊं, और नहीं तो धन्यवाद के , गीत ही कुछ गा
Read Moreमधुर मुझे मन मीत मिला उर का सुमन सप्रीत खिला- कब से थी आकांक्षा आए कोई मन का
Read Moreक्यों ऊसर जमीन पर मैंने, आशाओं के बीज बहाए ? मायामय कुरंग के पीछे, क्यों मन के तुरंग दौड़ाए ?
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