गीत
मनुष्य की चिता बने विकार की दवा करो कृपा करो कृपा निधान दूर आपदा करो। पुकार कर रही मनुज विहीन
Read Moreसाथ न कोई चल पाएगा, अकेले पथ पर बढ़ना होगा। जिंदादिली से जीना है तो, कांटों में भी खिलना होगा।।
Read Moreरोती मानवता की राष्ट्र मैं आज चीख सुनाने आई हूँ भुगत रहा परिणाम करनी का आज बताने आई हूँ प्रकृति
Read Moreसब की खातिर, जीकर देखा, खुद की खातिर जीना होगा। जिनको अपना, समझ रहा था, उनसे ही विष पीना होगा।।
Read Moreहे राष्ट्र के प्रहरी तुमसे , दिव्यता भी दिव्य हैसुर्य सम तेज पुंज भाल पे ,रूप अद्भुत भव्य हैहिमाद्रि चोटियों
Read Moreदो समानांतर लकीरों से सनम हम और तुम, साथ चलते हैं मगर होना मिलन सम्भव नहीं। जोड़कर तुमको घटाया ही
Read Moreइक-दूजे से शेयर करके, परिवार की गाड़ी चलती है। नर-नारी के एक होने से, सृष्टि जन्मती पलती है।। सहयोग समन्वय
Read Moreदिल का दर्द छिपाकर विरही,जिसने जीना सीख लिया।उनको नमन हमारा जिसने,आँसू पीना सीख लिया। हार न मानी थके नहीं जो,चलने
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