प्रेम प्रभु का वरदान है
प्रेम मन की आशा है, करता दूर निराशा है, चन्द शब्दों में कहें तो, प्रेम जीवन की परिभाषा है. प्रेम
Read Moreप्रेम मन की आशा है, करता दूर निराशा है, चन्द शब्दों में कहें तो, प्रेम जीवन की परिभाषा है. प्रेम
Read Moreदेवी नहीं, मानवी ही समझो, देवी कहकर बहुत ठगा है। बेटी, बहिन, पत्नी, माता का, हर पल नर को प्रेम
Read Moreनहीं पूर्ण मैं, लगा हलन्त्! नहीं, जानता कहाँ बसन्त?? सर्दी पीड़ित है तन-मन। कोहरे से ढका हुआ जन-जन। भाव बर्फ
Read Moreसकल दुखों को परे हटाकर,अब तो सुख को गढ़ना होगा ! डगर भरी हो काँटों से पर,आगे को नित बढ़ना
Read Moreबसंत तुम इठलाना मत गीत बेसुरे गाना मत । तुझसे सजेगी धरती प्यारी फूल फूल हर क्यारी क्यारी देख देख
Read Moreतृष्णा के आधीन हुआ मन लालच जीत रहा। व्यर्थ दौड़ में वृथा ज़िन्दगी का घट रीत रहा।। मन हरि से
Read Moreबीत रहा ये जीवन प्रतिपल, सूर्य उदित होता ए प्रतिदिन। मेरी राते बीते दिन गिन, अब तक दिखी न
Read Moreसर्दी का हो रहा अन्त। मित्रो! आया है बसन्त!! बर्फीली सर्दी बीत गयी। वियोग की अग्नि रीत गयी। संदेह कुहासा
Read Moreबचपन सबका हँसकर बीते,यह ही बस चाहत है, नहीं रहे वंचित कोय बच्चा,यही मेरा अभिमत है। पालन-पोषण,शिक्षा,शैशव,सब कुछ अब मोहक
Read Moreखुशी एक पल की दे दो या दुख उनके जरा ले लो कभी मौका मिले सेवा का तो उसको सदा
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