मेरा मन
मेरा मन न जाने क्यों? पवन संग उड़ना चाहे घटाओं संग बरसना चाहे कोयल संग कूकना चाहे फूलो संग महकना
Read Moreकुहरा करता है मनमानी।जाड़े पर आ गयी जवानी।।—नभ में धुआँ-धुआँ सा छाया,शीतलता ने असर दिखाया,काँप रही है थर-थर काया,हीटर-गीजर शुरू
Read Moreनहीं चाहत मुझे कोई, गगन के चाँद तारों की। नहीं ख्वाहिश मुझे कोई, किन्हीं दिलकश नजारों की।। तुम ही तुम
Read Moreदेश के लिए समस्याग्रस्त किसान मुद्दा है, सीमा पर मुस्तैद एक एक जवान मुद्दा है। सबको समान शिक्षा और रोजगार
Read Moreमैं माटी का दिया और तू मेरी बाती है। मेरे जीवन में प्रकाश तू ही फैलाती है।। मैं हूँ तुझमें
Read Moreमंज़र हैं यहां तबाही के। फंसी हुई दुनिया कैसे अपने ही पांसों में एक वायरस टहल रहा आदमी की सांसों
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