मिट्टी को न जान सके
तुम कागज के फूल थे मिट्टी को न जान सके। दिया आसरा जिसने तुमको तुम उसको न मान सके। अंधकार
Read Moreतुम कागज के फूल थे मिट्टी को न जान सके। दिया आसरा जिसने तुमको तुम उसको न मान सके। अंधकार
Read Moreदर्द को शब्द में ढालकर आई हूं, बैठकर रोना मुझको गवारा नही। पीर के मेघ पलकों में छाए मगर, अश्रुमोती
Read Moreतुम आना प्रिये! अब की बार, बनकर दीपक मेरे सूने आँगन में। दिन-मास मेरा प्रतिकुल रहा, सच धीमा बीता यह
Read Moreआशाओं के मंगल दीप ,जला मेरे मन… तिमिर निराशाओं के, अब ना ला मेरे मन.. हर रात की जब भोर
Read Moreहम एक नया संसार बनायें। न ढलें अश्रु नयनों से, स्वप्न पलें। सुख-दुख में शामिल, बन दीप जलें। मानव-मन के
Read Moreऐे सैनिक,फौज़ी,जवान, है तेरा नितअभिनंदन। अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।। गर्मी,जाड़े,बारिश में भी,तू सच्चा सेनानी अपनी माटी की रक्षा
Read Moreमन से मन का तार जुड़ेगा नवगीत निर्मित होगा। भूले भटके राही को खुशियों का संसार मिलेगा। करनी अपनी देख
Read Moreझरने की हर झरती झलकी, पुलकी ललकी चहकी किलकी; थिरकी महकी कबहुक छलकी, क्षणिका की कूक सुनी कुहकी! कब रुक
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