सागर निर्झर सर नदी, धरती सुंदर रूप। रखें धरा को नम सदा, झील बावली कूप।। धरती पर उगते रहे , वृक्ष झाडियाँ बेल। प्रकृति सुंदरी रच रही, रुचिर नवल नित खेल।। उर्वर वसुधा है कहीं, कहीं उड़े है रेत। बंजर पथरी रेणुका, कहीं झूमते खेत।। धरती पोषण दे हमें, करती सदा निहाल। वन उपवन कानन […]
मुक्तक/दोहा
नव संवत्सर के दोहे
संवत्सर आया नया,गाने मंगल गीत । प्रियवर अब दिल में सजे,केवल नूतन जीत ।। उसकी ही बस हार है,जो माना है हार । साहस वाले का सदा,विजय करे श्रंगार ।। बीते के सँग छोड़ दो,मायूसी-अवसाद । दो हज़ार अस्सी सुखद, धवल,कर देगा आबाद ।। खट्टी-मीठी लोरियां,देकर गया अतीत। वह भी था अपना कभी ,था प्यारा […]
दोहे – छल-बल का परित्याग
छल-बल में क्या रखा,ये लाते दुष्परिणाम। पतन सुनिश्चित ये करें,हैं दुख के आयाम।। छल-बल मात्र प्रपंच हैं,बचना इनसे आज। वरना तय होगा यहाँ, झूठ-कपट का राज।। छल-बल तो अभिशाप हैं,नीचा करें चरित्र। इनसे बिगड़े है मनुज,होता थोथा चित्र।। छल-बल को त्यागो अभी,तभी बनेगी बात। वरना जीवन को समझ,ख़ुद की ख़ुद पर घात।। छल-बल को जो […]
मुक्तक
ख्वाब को आंसुओं में बहाते नहीं आस के दीप को यूं बुझाते नहीं जो चुनी मंजिलें प्राप्त उनको करों मोड़ को देख पथ छोड़ जाते नहीं। लोग कुछ भी कहे ध्यान मत दीजिये हार से जो मिला वह सबक लीजिये व्यर्थ की बात पर गौर करना नहीं लक्ष्य से ना नजर को अलग कीजिये। आस […]
पिता
धूप में जलते हैं खुद और पाँव में छाले पड़े, चलते रहें रात दिन, जितना भी चलना पड़े। चिन्ता यही रहती है बस, परिवार खुशहाल हो, बच्चों को रोटी मिले, चाहे भूखा खुद सोना पड़े। रोते बहुत वह भी मगर, आँसू नजर आते नही, भीतर से कोमल मगर, दर्द अपना कहते नही। पी लेते हलाहल […]
दोहे – फिरा न मन का फेर
भजन करे सिमरन करे, फिरा न मन का फेर। ध्यान सदा धन में रहे, लिया मोह ने घेर। साधु संत का रूप धर, मन भीतर शैतान। छल कपटी ढोंगी बना, ढूंढ रहा भगवान। काम क्रोध मद लोभ में, सदा सुरा का पान। नारी नयनों में बसे, करे ईश का ध्यान। माया ठगनी […]
युवाशक्ति के दोहे
युवाशक्ति को है नमन्,जो रचती इतिहास। हो हिमगिरि-सा दृढ़ युवा,ऊँचा ज्यों आकाश।। युवा उठे तो हो सृजन,विचले तो विध्वंस। युवा विवेकानंद है,है मानस का हंस।। तूफ़ानों को जीतकर,ला दे नवल विहान। युवा सदा गतिशील है,है वह मंगलगान। भगतसिंह,सुखदेव है,युवा लगे ‘आज़ाद’। हर बाधा से लड़ करे,युवा वतन आबाद।। युवा जोश का नाम है,रखता नित विश्वास। […]
होला महके खेत में
होला महके खेत में, सोंधी लगे मिठास। छाछ दही सह पीजिए, गन्ने का रस खास।। होला भुनता मेंड़ पर, महक उठे आकाश। मिर्चा बुकनू रायता, रखो हमेशा पास।। गेहूँ बाली भूँज कर, खाओ गुड के साथ। क्षुधा शांत कर तृप्ति दे, प्रमुदित दीनानाथ।। चना भूँज कर खाइए, ताल खेत नद तीर।। होला हर्षित है करे, […]
नीर के दोहे
जल संकट से मत डरो ,इसका करो निदान ,पानी की हर बूँद का ,कीमत जान सुजान। जल से ही जीवन चले ,जल से चले जहान ,जल का अपव्यय जो करे ,उसको मुजरिम मान। जल से ही है हौसला ,जल से मिलती शान ,जिसका पानी चूक गया ,वो निरीह इंसान। नीर बचाना सीख ले ,व्यर्थ बहा […]
“शब्द बहुत अनमोल”
सोलह दोहे “शब्द बहुत अनमोल”—जिनको कविता की नहीं, कोई भी पहचान।छन्दों के वो बन गये, आज कथित भगवान।1।—भरा पिटारा ज्ञान का, देखो आँखें खोल।शब्दकोश में हैं भरे, शब्द बहुत अनमोल।2।—जिनकी अपनी है नहीं, चेतन प्रज्ञा मित्र।कदम-कदम पर वो करें, हरकत यहाँ विचित्र।3।—सीधे-सीधे ही कहो, अपने मन की बात।कविता में करना नहीं, घात और प्रतिघात।4।—दोहों में […]