कितना बदल गया परिवेश
वेलेंटाइन के चक्कर में अजब- गजब है वेश। पुलवामा की कुर्बानी को भूल रहा है देश।। सही- गलत के मिश्रण
Read Moreवेलेंटाइन के चक्कर में अजब- गजब है वेश। पुलवामा की कुर्बानी को भूल रहा है देश।। सही- गलत के मिश्रण
Read Moreनैन कटारी मार मुझे घायल कर जाती हो बोलो। रातों में सपनों में आकर चैन चुराती हो बोलो। तेरी
Read Moreआप लोग हमारे साथ हाइकु, क्षणिका, गीत, बाल गीत, कविता आदि के सफर में साथ चले हैं, आज मुक्तक की
Read Moreभौरों का गुंजन मधुर, कोकिल गाती गीत पुष्प सजीले खिल उठे, चली सदन को शीत। स्वागत करते हैं सभी, आये
Read Moreमातु शारदे दीजिए, यही एक वरदान. दोहों पर मेरे करे, जग सारा अभिमान.. मातु शारदे को सुमिर, दोहे रचूँ अनंत.
Read Moreमुट्ठी बांधे जग में आए थे हम, मोबाइल लेकर घूमते हैं, मुट्ठी में है जमाना सोचकर, तंज़ करते हुए झूमते
Read Moreसफल नहीं होगा यहाँ, अब कोई षडयंत्र। धीरे धीरे हो गया , समझ दार गणतंत्र। जिनके दिल में है नहीं,ज़र्रा
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