मुक्तक
“मुक्तक” नहीं किनारे नाव है, नहीं हाथ पतवार। सूख रहा जल का सतह, नहीं उदधि में धार। नयन हुए निर्लज्ज
Read Moreलफ़्फ़ाज़ों के हम नहीं, बन सकते हमराज़। करना होगा अब हमें , एक नया आग़ाज़। गाता अपना गीत हूँ ,
Read Moreबदअमनी का हर तरफ,लगा हुआ अम्बार। घोड़े अपने बेच कर , सोता चौकी दार। समझाये कोई मुझे , मँहगाई का
Read Moreदामन में अपने पाप को सहेज न लेना सुखों के बदले जलालत की सेज न लेना उनको भी हक शादी
Read Moreएक बार फिर से जगा ,मानव बन हैवान । उसकी पशुता ने हरा ,नारी जीवन,मान ।। हद से गुज़री क्रूरता,दक्षिण
Read Moreबाल न बांका हो कभी, टूटे ज़रा न आस। पालन हारे पर रखे , मानव जो विश्वास। झेलेंगे हमले नये
Read Moreबेटी तो कोमल कली ,बेटी तो तलवार ! बेटी सचमुच धैर्य है,बेटी तो अंगार !! बेटी है संवेदना,बेटी है आवेश
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