हक़ीक़त
नहीं शेष संवेदना,रोते हैं सब भाव ! अपने ही देने लगे,अब तो खुलकर घाव !! स्वारथ का बाज़ार है,अपनापन व्यापार
Read Moreधारा बह गई धार में, तीन सौ सत्तर आज। पैंतीस ए खत्म हुई,चढ़ी आज परवाज। पहले श्रावण सोम को, बम
Read Moreमोदी ने करतब किया, घबराये फारूख। महबूबा मुफ्ती गई, इक पल में ही सूख।। धारा अब ना शेष है, अनुच्छेद
Read Moreमित्र वही जो नेह दे,सदा निभाये साथ हर मुश्किल में थाम ले,कभी न छोडे़ हाथ ।। पथ दिखलाये सत्य का,आने
Read Moreबादल लेकर आ गये,वर्षा का संदेश । जल बरसा दिखलायंगे,वे अपना आवेश ।। सूखे पर पाई विजय,तुम सचमुच बलवान ।
Read Moreआज़ादी का अपहरण , करे जहाँ सरकार। तर्क बगावत का वहाँ , पाता है आधार। ज़र के भूखे भेड़िए ,
Read Moreपत्नी ही है प्रेमिका,पत्नी ही है मित्र। महकाती जीवन सदा,बन खुशबू का यंत्र।। पत्नी से ही प्रेम हो,पत्नी से अभिसार
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