माँ तुम जैसा स्नेह-ममत्व पाऊँ, कहाँ जग में । —— कभी बनती, गौरी कभी काली सी, माँ कल्याण को । —— धर कलश करूँ मैं माँ स्वागत, बना साँतिया । ——- नारियल को, सजाकर पत्र से, कर जोड़ता । —— थाल सजाके, फूल-प्रसाद तुझे, अर्पण करूँ । —- तेज़ मुख पे, लिए आ रही तुम, […]
हाइकु/सेदोका
हाइकु-दान
अनमोल है दान की परंपरा नियम धर्म। *** यथा समय करते रहें दान जीवन धन्य। *** दान कीजिए खुशी खुशी पात्र को सामर्थ्य भर। *** धन ही नहीं नेत्रदान कीजिए खुले मन से। *** महादान है रक्तदान कीजिये स्वस्थ रहिए। *** दान का मोल कौन चुका सकता कोई भी नहीं। *** परंपरा है सदियों से […]
हाइकु
शिक्षक देता सदा हमको ज्ञान धन्य है वो। +++ जीवनधारा प्रवाहित करता शिक्षक शिक्षा। +++ नि.स्वार्थ पथ सतत चलता है शिष्य के लिए। +++ पूजो शिक्षक जीवन हो स्वच्छ निश्चिंत बन। +++ शिक्षा संस्कार शिक्षक दे सकता भरोसा तो हो। +++ शिक्षक ,गुरू भगवान सरीखे झुका लो सिर। +++ जीवन पथ प्रदर्शित करते शिक्षक ,गुरू।
माहिया
जो कहा तब आपने मैंने क्यों समझा खुलकर तभी सामने। *** है लगन लगी तुमसे ऐ कान्हा मेरे प्रीत बढ़ाओ मुझसे।। ***
ताँका छँद
सृजक आज क्या सृजन करता कैसे समझें बेसिर पैर बातें बस पन्ने रंगता। *** घोर निराशा मन में व्याप्त है आखिर कैसा समय आ गया है आज के समाज में। *** परिवर्तन होकर ही रहेगा संतोष रखो बस कर्म अपना अनवरत करो
प्यारी नदियाँ
प्यारी नदियाँ ******* 1. नद से मिली भोरे-भोरे किरणें छटा निराली। 2. गंगा पवित्र नहीं होती अपवित्र भले हो मैली। 3. नदी की सीख – हर क्षण बहना नहीं थकना। 4. राजा या रंक सबके अवशेष नदी का अंक। 5. सदा हरती गंगा पापहरणी जग के पाप। 6. नदी का धैर्य उसकी विशालता, देती है […]
बादल
1. ये बादल तो प्रकृति का सौगात जीवन कूल 2. बादल है या इश्क़ की पेचीदगी मन व्याकुल 3. बादल है या बारिशों का समुंद्र सावन झूमे 4. जब छाये ये तब मालूम होता इश्क़े उन्माद 5. छंट जाये […]
हाइकु
निशाना साधे खड़े बिजूखा पर निशानेबाज === करता रक्षा बिजूखा खड़ा मर्द खेत पक्षी से === रात अंधेरी खड़ा बिजूखा खेत मालिक लगे/ चोर को भ्रम === खड़ा बिजूखा फसल चोर डरे चोरी करते === खड़ा बिजूखा भ्रम पाले बटोही मनहरखे == खड़ा बिजूखा करता रखवाली खेत फसल — गीता पुरोहित
पखेरू (8 हाइकु)
1. नील गगन पुकारता रहता – पाखी, तू आ जा! 2. उड़ती फिरूँ हवाओं संग झूमूँ बन पखेरू। 3. कतरे पंख पर नहीं हारूँगी, फिर उडूँगी। 4. चकोर बोली – चन्दा छूकर आएँ चलो बहिन। 5. मन चाहता, स्वतंत्र हो जीवन मुट्ठी में विश्व। 6. उड़ना चाहे विस्तृत गगन में […]
हाइकु-आग
बरसे आग ऐसा लगता जैसे जला ही देगी। ***** कब बुझेगी भूखे पेट की आग राम ही जानें। ***** अग्नि देवता काम आते चूल्हे के रोटी पकती। ***** बिना विचारे उपयोग करना हाथ मलना। ***** मृगतृष्णा सी धधक रही ज्वाला झुलसे तन। *****