तीन मुक्तक
तीन मुक्तक 01 आज देश की कई सीमायें असुरक्षा से मचलती हैं घायल हो रहा हिमालय शहीदों की संख्या बढ़ती
Read Moreतीन मुक्तक 01 आज देश की कई सीमायें असुरक्षा से मचलती हैं घायल हो रहा हिमालय शहीदों की संख्या बढ़ती
Read Moreआज मैं तुम्हें न पा सका, इसलिए न गीत गा सका। बहार फूल तो खिले मगर, मिले उसे भ्रमर न
Read Moreआसाढ मे सखी . मनभावन है मौसम बादलों के मखमली है रंग बरसाते रिमझिम फुहारें अमृत रस बरसातें बदरा गर्जन
Read Moreआजकल मैं श्मशान में हूँ कब्रिस्तान में हूँ सरकार का मुखिया हत्यारा है सरकार हत्यारी है अपने नागरिकों को मार रही है सरकारी अमला गिद्ध है नोंच रहा है मृत लाशों को देश का मुखिया गुफ़ा में छिपा है भक्त अभी भी कीर्तन कर रहे हैं इस त्रासदी पर देश की सेना पुष्प वर्षा कर रही है बैंड बजा रही है मैं हूँ जलाई और दफनाई लाशें गिन रहा हूँ रोज़ ज़िंदा होने की शर्मिंदगी महसूस कर रहा हूँ क्या क्या गुमान था कोई संविधान था कोई न्याय का मंदिर था एक संसद थी
Read Moreकभी तो हटेंगे ये खौफ के साए कभी तो खत्म गम की रात होगी , कभी चमचमाती नई सुबह होगी
Read Moreसूर्यग्रहण की अवधि में हमें वैज्ञानिकी-आचरण अपनाने चाहिए और किसी तरह के ढोंग, मिथ्याडम्बर और हास्यास्पद-निवृत्ति से बचना चाहिए ।
Read Moreअब ‘ऑनलाइन’ से ‘हाट’ जाने की जगह स्मार्टफोन ने ले लिया है, लेकिन बुढ़ापे की इस घड़ी में यही स्मार्टफोन
Read Moreचेहरे पर चेहरा है , चेहरे पर चेहरा है कोई गोरा है, कोई काला है कोई देखने में भोलाभाला है
Read Moreमैं लड़की हूं हाँ मैं लड़की हूं सबकी इज्जत लेकर चलती हूं घर की इज्जत, परिवार की इज्जत माँ की
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