शब्द
शब्द शब्द चुनकर लिखने लगी कविता। शब्द शब्द से बहने लगी काव्य की एक सरिता। किसी शब्द से बहने लगी
Read Moreकौन कहता है, हाथों की लकीरों पर सब कुछ लिखा होता है। रिक्त होती है हाथ की लकीर किसी नई
Read Moreमैं भी औरत हूँ क्या मुझे भी जीने का हक़ है खुद का अस्तित्व मिटाकर किसी का घर बसाती हूँ घर
Read Moreहै वक्त की खूबी, कैसा भी हो गुज़र जाता है। रखता कदम जो संभालकर, वह संवर जाता है। आती रहें
Read Moreपलायन का दर्द बड़ा दुखदायी होता है, कहर बरपाता है आसमान, रोम रोम रोता है। आंसू पसीने के रूप में
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