ग़ज़ल
सामने आके मेरे खड़ा है तो क्या, एक बेकार ज़िद पे अडा है तो क्या। देखलो मुझको मैं भी हूं
Read Moreदुनिया की ठोकरों ने संभलना सिखा दिया, झूठ और फरेब को समझना सिखा दिया। बदल गया नजरिया लोगों को देखने
Read Moreरात चाँदनी गहरी-गहरी प्रेम-प्रीत क्यू ठहरी-ठहरी ॥ चलो आज चाँदनी छू लें हम कुछ मन की चाही कर लें हम
Read Moreमैं पतंग बन जाऊं मेरा मन है कि मैं पतंग बन जाऊं मकर संक्रान्ति और पतंगोत्सव की पावन वेला पर
Read Moreगम भी खुशियां दे जाते थे, जब हम साथ तुम्हारा पाते थे। प्रीत के बंधन में बंध कर , सपनों
Read More