हास्य व्यंग्य कविता – नववर्ष संकल्प
कैलेंडर तो बदल दिया , खुद में भी कुछ रंग भरना है कंबल में दुबका सोच रहा , नए साल
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Read Moreआँधियों का दौर है दिया जलाने की जहमत कौन उठाये सब तो सौदागर बने बैठे हैं यहाँ इनका मोहब्बत से
Read Moreदुग्ध पिलाकर अपने उर का ,आँचल बीच समा लेती हो । अपने हाथों से सहलाकर, मन की थकन मिटा देती
Read Moreनए साल की आहट आई है, लबों पर मधुरिम-सी मुस्कुराहट छाई है. पंछी हर्षित हो मधुर गीत गा रहे हैं,
Read Moreजब भी दिल दुखा कह न पाये मन की बात शब्द बने मनमीत लो चल पड़ी कलम।। जब भी द्रवित
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