आज की नारी
जगजननी जगदम्बिका, मैं सृष्टि का अभिमान हूँ। ना सीता ना द्रोपदी, ना महाकाली का नाम हूँ। मैं आज की नारी
Read Moreजगजननी जगदम्बिका, मैं सृष्टि का अभिमान हूँ। ना सीता ना द्रोपदी, ना महाकाली का नाम हूँ। मैं आज की नारी
Read Moreमेहंदी का रंग रुठ गया चूड़ी का साथ दो पल में टूट गया, तुम्हारे लहू से मेरे माथे का सिंदूर
Read Moreसाहब, मैंने दर्द पढ़ा नहीं, देखा है, मैंने भूखे प्यासे बच्चों को रोते देखा है। मैंने स्टेशन पर उनको
Read Moreदर्पण ने नग़मे रचे,महक उठा है रूप ! वन-उपवन को मिल रही,सचमुच मोहक धूप !! इठलाता यौवन फिरे,काया है भरपूर
Read Moreकब वहाँ पर प्यार की बातें हुईं जब हुईं तकरार की बातें हुईं पल दो’ पल कचनार की बातें हुईं
Read Moreचांद के साथ सफर चलो कुछ और करें यादों में वक़्त बसर चलो कुछ और करें रात और दिन के
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