कविता- शहीद के घर त्यौहार
होली पर गीत लिख रहा हाथ कांपने लगे हदय रोकर सवाल किया, अरे शहीदों के घर पर क्या होता होगा,
Read Moreहोली पर गीत लिख रहा हाथ कांपने लगे हदय रोकर सवाल किया, अरे शहीदों के घर पर क्या होता होगा,
Read Moreआ गया बसंत का मौसम, लग गए आम में बौर। उनकी खुशबू लुभाने लगी, हरे हरे पत्तों में झांकती पीले
Read Moreमाना कि वक्त हमारा नहीं है। पर थमना भी तो गंवारा नहीं है।। मंज़िल एक रोज़ मिलेगी रख सबर।
Read Moreकीजिये यकीन मेरा, कि ये गुस्ताखी नहीं। और रखिए आप, इतनी रंजिशें काफी नहीं।। आपको है क्या ज़रूरत, यूँ उठाने
Read Moreमौज बढ़ाए मन की दिलखुश जुगलबंदी का पौधा खिलने लगा है अब उसमें रविंदर सूदन जैसा सुन्दर पुष्प खिलने लगा
Read Moreरोम रोम में राम बसे हैं, धड़कन-धड़कन गीत। हमको तो ये सारी दुनिया, लगती है मनमीत।। ज़िन्दगी प्रीत प्रीत बस
Read More