कविता – बसन्त
मै बंसत की बेला हूं, पतझड़ सा कठोर बहती पवन हूं पलको पर बिखरा सपनो वाला मन हूं, दो आंसू
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Read Moreएक बात पुरानी है एक घटिया सोच पुरानी है, दिल तो रोया कब का था आंखों में फिर आज मेरे
Read Moreपरिवेश में , क्या-क्या नही बदला । हवा, पानी, पड़ौसी , मगर आपका मिजाज नही बदला । वो भी कभी
Read Moreमेरा ये इरादा है करना तुम से कुछ वादा है कभी ना छोड़ूगा तुम्हारा साथ चाहे कैसे भी हो हालात
Read Moreदेश-विदेश में हम सब मना रहे हैं ‘वेलेंटाइन वीक’ इस ‘वेलेंटाइन वीक’ में नहीं होगी महज पुरानी लीक कुछ नया
Read More💐आया बसंत 💐 ————————– मन में लिए खुशियाँ अनंत आया बसंत , आया बसंत जो ठूँठ पड़े थे , कुदरत
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