कविता – जाग युवा जाग
जाग युवा जाग कि तेरे जागने से देश जगेगा देश जगेगा और हर क्षेत्र में विकास करेगा, भ्रष्टाचार और दुराचार
Read Moreजाग युवा जाग कि तेरे जागने से देश जगेगा देश जगेगा और हर क्षेत्र में विकास करेगा, भ्रष्टाचार और दुराचार
Read Moreगरल सुधा बन जाता है जब मीरा सी हो भक्ति। अभय हो जाता नर जब हो निष्काम कर्म शक्ति।। अगणित
Read Moreहे अमानुषों! बनकर आँधी बार – बार झपटे हो…… मैं दीपक हूँ नहीं बुझा था नहीं बुझूँगा चाहे जितना जोर
Read Moreकिताबें सबसे प्रिय मित्र ,संगी- साथी और मार्गदर्शक होते थे उन दिनों । बचपन में लोरी बन कर हमें हंसाते
Read Moreसही को गलत गलत को सही बताता है नहीं वो अपनी औरों की कही बताता है दूसरों की सुनकर अपना
Read Moreयादों के सहारे पत्थरों की मुरत पत्थरों की मिनारें समंदर उफान भरता हुआ मैं, मौन धारण बैठा किनारे कुछ रास्तों
Read Moreमैं मस्त फकीर मेरा कोई नहीं ठिकाना मुझे नहीं पता कल कहाँ जाना ? अपनों ने मुझे भुलाया मैंने भी
Read Moreनीर पथ पर बिखरा था खामोश लोग निकलने लगे कदम ना ठहराया किसी ने बस देखकर अंजान होने लगे, पथ
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