ग़ज़ल
मात्रा भार 32, 16-16 पर यति गर बांस से बनती बांसुरी, बँसवारी न रहती बेसुरी हर बांस की कोठी करारी,
Read Moreमर जायेगा वो इन्सान, अपने मानसिक तनाव से, कुन्ठित हो जायेगा वह इन्सान, इस जगह पर, सिकुड़ जायेगी, मानसिक मांसपेशियां,
Read Moreजब मिलता है प्यार कहीं तो प्यार जताना पड़ता है। दिल से दिल मिल जाता तो दिल लगाना पड़ता है।
Read Moreज़िंदगी जैसे एक समझौता बन कर रह गई है, अपने दिल की आरज़ू और ख्वाइशे— जैसे नदिया में बह गई
Read Moreमेरा तडप रहा है तन में लगी है आग सूनी है फूलवारी सूना है मन का बाग। रोज मुंडेरे पे
Read Moreमात्रा भार – 24, 12-12 पर यति……….. देखों भी नजर उनकी, कहीं और लड़ी है सहरा सजाया जिसने, बहुत दूर
Read Moreअसम है मेरा असम, प्यारा है मुझको असम, हुआ जनम यहीं और यही करम, असम है मेरा सनम। है जब
Read Moreमेघ जल बरसा रहे धरती की अग्न मिटा रहे कलि कलि मुस्का रही किसान ख़ुशी से झूम रहे अपने खेतों
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