ग़ज़ल : गुल खिले बसंती
घटे शीत के भाव-ताव, दिन बने बसंती गुलशन हुए निहाल, और गुल खिले बसंती पेड़-पेड़ ने पूर्ण पुराने वस्त्र त्यागकर
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Read Moreसरस्वती माँ के पावन पूजन पर्व “बसंत पंचमी ” पर माँ के चरणों में एक वन्दना : सरस्वती माता तुझे,
Read Moreइक-दूजे से प्यार करें हम, किसको ज्यादा प्यार बताओ ? कहो इश्क़ के थर्मामीटर, किसको अधिक बुखार बताओ ? खुद
Read Moreहे ! शारदे हे, नित्य नवल शुभ्र वस्त्र आसन कमल ज्ञान विवेक का वर दो याद करूँ नैना सजल भानु
Read Moreबहुत हो गयी अब दिवालों की बाते कोई तो करो इन सवालो की बाते लुटी बस्तियाँ भी तो धर्मो पे
Read Moreनयनों में प्यास लिए, मुख मृदु हास लिए चहकत झूम झूम जैसे हो कजरिया । मधुमाती अबला सी, रसवंती सबला
Read Moreकाम से हम नहीं थकते तुम्हारे तानों से थक जाते हैं काम तुम्हारा करके यह कौन सा सुख पाते हैं
Read Moreरोज़ सैर पर आते-जाते समय मेरे रास्ते में आता है घर नं. बत्तीस उसमें दिखता है प्राकृतिक वातानुकूलित आर्ट पीस
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