दहले हुए दिल से, क्या लिखें और कैसे लिखें! लेखनी भी निःशब्द होकर सोच रही है, क्या लिखें और कैसे लिखें! सारी हदें पार कर दी हैं, स्वार्थपरकता और दरिंदगी ने, न्याय को भी सोचने को...
कुछ मुहब्बत कुछ शरारत और कुछ धोका रहा । हर अदा ए इश्क़ का दिल तर्जुमा करता रहा ।। याद है अब तक ज़माने को तेरी रानाइयाँ । मुद्दतों तक शह्र में चलता तेरा चर्चा रहा...
जंग अपनों से अपने आप ही हारी है मैंने, घर टूटने का दर्द, घर टूटने से पहले महसूस किया है मैंने | मेरी ये शोहरतें खरीदी नहीं, श्रम से कमाई हैं – मौत की दस्तकें बड़े...
देख रही हूँ फिर से बदल रहे हो तुम तोड़कर धारा से संबंध सारे आसमान में उड़ रहे हो तुम देखो प्रलंभन से जरा दूर रहना तुम अक्स तारों का क्यों फिर से ओढ़ रहे हो...
अलौकिक अवधारणा से पूर्ण हो नूतन वर्ष की परिकल्पना , संदेश प्रेम भरा संसार में हर पल फैलाना तुम । नववर्ष की उत्कंठा में पतझड़ को मत भूल जाना तुम , सार सम्पूर्ण जीवन का दो...
मेरे देश की अनमोल बातें , मुझको याद दिलाती हैं । मैं हूँ पहले एक इंसान , मर्यादा यही सिखाती है । गाय हमारी पूजनीय माता , श्रद्धा से .. गहरा नाता है दूध देकर पितरों...
कर गुप्त श्रृंगार, उल्लसित फुहार धम-धम-धमाक दहलाया है उमड़-घुमड़ मेघों के बीच सावन फिर आज गहराया है। तड़-तड़-तड़ित विद्युत जनित चम-चम-चमात चमकाया है है नेह थकित विश्वास अडिग सावन कृषकों को भाया है। घर-घर-घरात,थप-थप-थपाक सूखी धरती...
रातों की सीयाही में अस्मत के लुटुरे हैं गुनाह में डूबे दिल, मन में भी अंधेरे हैं इंसानी जिस्म में ये छुपे हुये दानव है जुल्मत की दुनियां में ये बनाए बसेरे हैं बीमार मन के...
हार यूँ तो मैं मानती नहीं मायूस होना जानती नहीं फिर भी लाज़िम है कभी ग़मग़ीन मैं हो भी जाऊँ जानती हूँ तुम ग़मज़दा कभी मुझे होने नहीं दोगे दुनिया के दश्त-ए-ग़म में कभी मुझे खोने...
गर इस जहान में गर कहीं भी खुदा होगा। यकीनन वो गूंगा, अंधा और बहरा होगा। उस के हौसले इस बूते पे ही तो बुलंद हैं, के यहाँ का हरेक पहरेदार सो रहा होगा। रो लो...
Social