तुम ही हो
कह दो समंदर से मुझे , जरूरत नहीं लहरों की । बस एक तुम ही हो जिंदगी में , तूफान
Read Moreकितना अजीब लगता है जब हम कहते हैं कि इंसान बदल गया, परंतु हमने कभी अपने बारे में सोचा है
Read Moreप्यार के मधुरिम आखर बन जाऊं। सुरीले सरगम, गागर बन जाऊं। मैं तो सूखा हुआ इक दरिया हूं, तुम मिलो
Read Moreबाँटती जो फिर रही है धर्म के आधार पर, खूब जमकर हमलड़ेंगे उस सियासत के खिलाफ। हर तरफ फैला रही
Read Moreस्त्री-पुरुष दोनों ही क्रमश: ब्रह्मचारिणी और ब्रह्मचारी रहे हैं ! ज़िन्दगी कैसी जीनी है, सबके अलग-अलग दर्शन हैं, हस्तक्षेप कैसा
Read Moreमैं नारी हूं मां, बेटी, भगिनी, बहन दुलारी हूं। स्वभाव से सरल निश्छल हूं, सब पर भारी हूं। तोड़ना जानती
Read More