छब्बीस से सत्ताइस मार्च तक संदेह के बादल छाए रहे आशंकाओं की बयार बहती रही आरोपों के साथ बयान वीरों के तीर कमान से निकलते रहे। गाड़ी पलटेगी, हत्या हो जायेगी कोर्ट की आड़ में कुछ अनहोनी हो जायेगी साबरमती से प्रयागराज की यात्रा नये गुल खिलायेगी, मुझे जेल से जेल की नहीं अंतिम यात्रा […]
कविता
अपनत्व में पारदर्शिता
अपनत्व भाव है भावना है आत्म साधना है, अपनत्व किसी से भी हो सकता है पर हर किसी के लिए नहीं हो सकता खून के रिश्तों में ही अपनत्व हो ऐसा भी नहीं होता। जब मन मिल जाते हैं आपसी विश्वास बढ़ते जाते हैं। तब अपनत्व स्वमेव जन्म ले लेता है। अपनत्व किसी के बीच […]
काले बदरा
गगन पे विचरण करने वाले बदरा वर्षा दे मेरे प्याले में तूँ मदिरा जब जब सावन में तुम आयेगा जाम से जाम मिलकर टकरायेगा गम को भुलाने में मेरी मदद तुँ करना मयखाने में जाम शराब का है भरना साकी मेरी रूठ कर मायके गई। है सौगात तन्हाई की भेंट कर […]
प्रश्न
अंतस में सदैव रहती है, सज्जनता और सहनशीलता क्या कारण है ? सम्बन्धों में, फिर भी बनी हुई है कटुता अंतस में है सदा उपस्थित, प्रेम दया करुणा और ममता क्या कारण है ?फिर भी मानव, मानवता को धूमिल करता अंतस में है सदा विराजित , चेतन ज्योति पुंज आशा का क्या कारण है ? […]
कैसा अभिमान करें
कैसा अभिमान करे ________________ कलुषित मन की मलीनता पे ,कैसा अभिमान करे | मानवता बिसराकर मानव प्रभु का अपमान करे | ईश्वर ने सृष्टि बसाई तब सौंदर्य बिखेरा था – दोहन करने को अरे मनुज क्यों कर श्रमदान करे | चौरासी लाख योनियों में जब, भटका तब यह तन पाया – करके कुकर्म मनुजाद बने […]
मिली फ़ुरसत
मिली फ़ुरसत रात दिन की कशमकश से तो बताएं गे कैसे गुज़री है यिह ज़िनदगी हैरान बुहत होंगे सुन कर यिह दासतान आँसू बैह सकते हैं दरद लाक है ज़िनदगी बांटी बुहत ख़ुशियाँ हैं इस ज़िनदगी ने ग़म देने से पीछे भी नही रही ज़िनदगी हंसाया भी बुहत है इस ज़िनदगी ने रुलाने से भी […]
कविता
क्यूँ आ जाते हो तुम मेरे जीवन में किसी टूटे दिल की तरह। हर जगह,हर वक्त क्युं मिल जाते हो प्रेमी की तरह।। कभी तो अकेले रहने दिया करो, क्यूँ? सताते हो मुझे बच्चों की तरह । क्यूँ बैचेन कर जाते हो मुझे कशमकश की तरह।। जब भूलना चाहती हूँ तो याद आ जाते हो, […]
हास्य व्यंग्य कविता – महंगाई
छूटे सारे शौक घटती कमाई मार गई भूले सारे स्वाद रसोई की रुलाई मार गई कुछ न पूछो दोस्तों कि हमको क्या हुआ हमको तो निगोड़ी महंगाई मार गई नित बढ़ते सारे टैक्स की अदाई मार गई अपना घर भरते नेताओं की बेहयाई मार गई हमें ख़ुद समझ न आए कि हमको क्या हुआ हमको […]
सतकर्म ही पूजा है
सोचो समझो इससे बड़ा ना कोई इस जग मे दूजा है सच करो सतकर्म दुनिया में यही तो इंसा सच्ची पूजा है।। जिसने दुःखाया दूजों को हर पल मेरे ऐ मालिक उसे सज़ा दी मालिक ने वो सजा पा सूजा है।। चलो करके देखो सत्कर्म तुम मानव मेरी मानो मिले हर राह मे खुशी तुम्हें […]
महकता है घर जिसमें बच्चे बसते हैं
घर की चौखट चहकती है बच्चे जब हंसते हैं महकता है घर जिसमें बच्चे बसते हैं संस्कारवान बच्चे धन सम्मान सेवा के रस्ते हैं बच्चों में भगवान बसते हैं हर छल कपट दांवपेंच से दूर रहते अबोध बच्चे खिलखिलाकर हंसते हैं किसी के ऊपर ताने तंग नहीं कस्ते हैं क्योंकि बच्चों में भगवान बसते हैं […]