कविता : कोई पता बता दे हमको
कोई पता बता दे हमको, ऐसे उस घर द्वारे का जहाँ न कोई हिन्दू मुस्लिम, न सेवक गुरूद्वारे का। जहाँ
Read Moreकोई पता बता दे हमको, ऐसे उस घर द्वारे का जहाँ न कोई हिन्दू मुस्लिम, न सेवक गुरूद्वारे का। जहाँ
Read Moreइजहारे मौहब्बत की कोई उम्र नही होती लोग तो बुढ़ापे में भी इश्क फरमाते है । मुँह में दाँत नही
Read Moreशब्द गीतों को समर्पित प्राण जीवन को समर्पित और क्या अर्पण करु तुम्हें मै मेरा सब कुछ तुमको समर्पित ।
Read Moreबदबूदार गलीच के बीच से कानों तक गूँजती है कुछ सिसकियाँ फिर किसी स्त्री – पुरूष ने अपनी जिस्मानी हवस
Read Moreआज बच्चों को ज्ञान नहीं मिल रहा है उन्हें तो पाठ पढ़ाया जा रहा है । बस्ते के बोझ तले
Read Moreआज भी कितनी ही “राधाएँ”, अपने “कान्हा” की राह तकतीं हैं ! “कान्हा” बैठे मुरली बजाए, इल्जामों में “राधाएँ ”
Read Moreगर…. ये दिल, इक खुली किताब बन जाता ! तो जिंदगी जीना ही, बेहाल हो जाता !! बिन बोले पढ़
Read Moreगर पता होता, इतनी मुश्किल डगर है मुहब्बत की राह में, कदम हम न रखते ! उलझने हैं ज्यादा, सकूं
Read More