“दोहा मुक्तक”
प्रदत शीर्षक- सिंह- केसरी, शेर, महावीर, हरि, मृगपति, वनराज, शार्दूल, नाहर, सारंग, मृगराज हे सारंग नाहर हरि, सिंह शेर मृगराज
Read Moreप्रदत शीर्षक- सिंह- केसरी, शेर, महावीर, हरि, मृगपति, वनराज, शार्दूल, नाहर, सारंग, मृगराज हे सारंग नाहर हरि, सिंह शेर मृगराज
Read Moreमौक्तिका (बचपन जो खो गया) 2*9 (मात्रिक बहर) (पदांत ‘गया’, समांत ‘ओ’ स्वर) जिम्मेदारी में बढ़ी उम्र की, बचपन वो
Read Moreकितनी लयबद्ध है ट्रेन की छूक छूक की आवाज ठीक वैसे जैसे कदम ताल करते स्कूली बच्चे और फिर इसका
Read Moreआज की मेरी कविता मौसम का तराना क्या कहूँ कैसा जादू है इस कदर। मौसम आज दिल को लुभाने लगा॥
Read Moreविषय- वर्षा उमड़ घुमड़ कर बादरा, बरसन को तैयार हवा बहे तो जल चले, वरना चह बेकार॥ आस लगी नभ
Read More1- आई बरखा नाचती गाती गोरी वन में मोर॥ 2- पानी पानी है चहु दिश बदरी पी चितचोर॥ 3- लजाये
Read Moreमौक्तिका (चीन की बेटी) 2*8 (मात्रिक बहर) (पदांत ‘कर डाला’, समांत ‘आ’ स्वर) यहाँ चीन की आ बेटी ने, सबको
Read Moreसर्दियों की ठिठुरती सुबह ठिठुरती सुबह की सुनहरी धूप आसमान पर छितराए बादलों का अनोखा था घनश्याम जैसा श्यामल रूप
Read Moreसुबह सुबह जप हरी का नाम, दिन और रात . ….सुधार ले होय प्रभु की महिमा न्यारी, सुलहा…..सीख…….उधार ले।।
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