कविता
मैं बहुत दूर निकल आई हूँ मुझे रोकने की कोशिश न कर। परवाह नहीं किसी की अब न है मुझे
Read Moreपत्थर की तरह अविचल स्थिर । एक टक निहारता तुम को । तुम आती हवा की तरह । चंचल अपलक
Read Moreमर -मर कर देख लिया जी-जी कर भी देख लिया अपनों का स्नेह देख लिया अपनों का अपनत्व भी देख
Read Moreप्यार की पहचान है कविता,जिंदगी का नाम है कविता,जीने का अंदाज है कविता,सुख दुख का नाम है कविता,अपनेपन की पहचान
Read Moreजिंदगी भर इंसान है अंतर्मन से रोता, पर अपने जज़्बात को नहीं किसी को बताता, एक न एक बार जरुर
Read Moreअश्कों को अपने सजा के रखते हैं – हम अपनी पलकों पर मुसकराते हैं लबों से मगर – आंसुओं को
Read Moreफागुन का महीना आया,मस्ती का मौसम साथ है लाया,गेहूं चना की फसल पकी है,खुशहाली की आस जगी है।रंग-रंग के फूल
Read Moreचूं-चूं करती चौबारे पर,एक गौरैया आई,मुझको बड़ी बहिन समझ उसने मुझे,अपनी व्यथा सुनाई।खेतों में विष भरा हुआ है,ज़हरीले हैं ताल-तलैया,दाना-दुनका
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