ऐ मेरे लोकतंत्र
ऐ मेरे लोकतंत्र तेरा इश्क़ भी कितना अत्याचार करता है.. कभी जात के नाम पर तो कभी रंग के साथ
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Read Moreतू वो लिख जिसे लिखने में लोग संकोच करते हैं जो तेरा दिल कहे तू बस वही लिख तुझे किसका
Read Moreतुम्हारे भोग जितने कम होंगे दुःख, कष्ट व परेशानियां उतनी ही कम होंगी । अपने धर्म के रास्ते पर चलकर
Read Moreमंदिर मस्जिद चर्च गुरूद्वारेनदिया परबत जंगल सारेढूँढ ढूँढ़ थक हार गया मैंकहीं मिले ना मोहन प्यारे |तभी अचानक एक बूढ़े
Read Moreमैं मूर्तिकार,अपनी कृतियों मेंभावों को संजोता हूंँ lमिट्टी और रंगों के संगम सेनवकृति को जन्म मैं देता हूंँ lएक दिन
Read Moreवादे करते कितने सारे, आश्वासन भरपूर। मोह पाश बॅंध जाती जनता, कैसे होंगे दूर।। स्पर्श चरण कर माथ लगाते, करते
Read Moreक्या हो गया है आजकल के मां बाप को, जो बच्चों को दे देते हैं पूरी तरह छूट, ऐसा कर
Read Moreमन को भाएं , चैती का चांद नववर्ष का होए शंखनाद । जगत-जननी के है। नवरात्र प्रकृति लाई बसंत उन्माद
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