ऋतु मिलन की आस
रैन भई, चमके तारे, नभ पर, जैसे कि दीप जले और , सुधाकर ने, बिखेर दी, स्निग्ध अमिय अवनि के
Read Moreरैन भई, चमके तारे, नभ पर, जैसे कि दीप जले और , सुधाकर ने, बिखेर दी, स्निग्ध अमिय अवनि के
Read Moreजिनसे घर की शान है, जो घर की पहचान है करो कभी ना उन्हें उपेक्षित, उनसे घर का मान है
Read Moreमाना कि आपके दिल के घाव बड़़े गहरे हैं। मगर इन्हें नासूर मत बनाइए, औरों को मत दिखाइए, दुनिया में
Read Moreहाँ ये सच है कि मैं दिव्यांग हूँ, शरीर से थोड़ा लाचार हूँ। पर आप भी देखो मैं कैसे भी
Read Moreचलो मेरे साथ चलो सपनों के पीछे भागते हैं सपनों के पीछे भागना कोई लालची होना नहीं होता है सपनों
Read Moreप्रभु मेरी तुमसें है अरदास साल तो यह जैसे तैसे बीत रहा मास दिसंबर साल अंत का भी अा गया
Read Moreसच ही तो है कि हम सब माटी के पुतले भर हैं, हमारी औकात मिट्टी के बराबर भी नहीं है।
Read More“जब शरीर को यहीं जला दी जाती है और आत्मा अजर-अमर है, तो नरक में गरम तेल की कड़ाही में
Read Moreसोच हमारी इतनी संकीर्ण और सीमित हो चुकी है कि अगर किसी को ‘आई लव यू’ कहते हैं, तो हम
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