मंजिल
मंजिलों की ख्वाईश में अक्सर कदम डगमगा जाते हैं फिसल जाते हैं रास्ते हाथों में सिर्फ टुकड़े नजर आते हैं
Read Moreप्रेम से न किसी का वास्ता पैसा ही सबसे बड़ा रिश्ता हार जाता है सच्चा रिश्ता अहम जिंदगी का फरिश्ता
Read Moreराम के राज्याभिषेक को हो रही थी तैयारी, हर और खुशियों का शोर। मंथरा को ये सब खटका उसने अपने
Read Moreदे माता आशीष हो कल्याण भवतारिणी दुष्ट संहारिणी जय मां जगदम्बे मैं ज्योति जलाऊं आरती गाऊं पुजूं तुझे नमन दुर्गा
Read Moreजिंदगी शुक्रिया तेरा कितने सबब दिए तूने हर सबब लाजवाब तेरा तेरे सबबों से सीख कर पूरी कर रहा जीवन
Read Moreबहुत कहने से क्या ? करोडो़ शास्त्रों से भी क्या ? कर्मकाण्ड कराने में क्या? तीर्थों पर भटकने से भी
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