/ महामानव बनो /
विश्व चेतना के बीज हे मनुष्य ! अंकुरित होने दो तुम्हारे निर्मल चित्त में लहलहाती फ़सलों की सरसराने दो, स्वेच्छा
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Read Moreशिक्षक का जीवन मुहाल हो गया बद से बदतर सा हाल हो गया । ज्ञान का दीप जलाने वाला गुरु,
Read Moreक्या देखा है आपने कभी श्वेत वस्त्रधारी योद्धा?हां, देखा है हम ने उनको, दिन के चारों प्रहर प्रयास करते हुए
Read Moreसुनो , सुनाता हूँ किस्सा ये , लेकर के श्री राम का नाम क्यों कहते हैं लोग बड़ा है राम
Read Moreमेरे जीवन की डोर और उसके दो अत्यंत महत्वपूर्ण छोर! धुंध और अंधकार को दूर भगा, लाए जीवन में
Read Moreमन की नदी में तर्पण किया है पापा भावनाओं से, भीगा सा मन लिए … इस पितृपक्ष फिर बैठी हूँ
Read Moreकल रात गली के नुक्कड़ से गुजर रहा था जब एक आवाज कानों में पड़ी कोई कह रहा था किसी
Read More1. संभ्रांत बोल सबकोई ‘पलवा’ के ” ” चाट रहे हैं ! क्या-क्या चाटने-चटवाने ? चटनी की यारी लिए
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