पाठक की कलम से- 2
सुदर्शन खन्ना के फेसबुक से साभार. कविता क्या है? कविता जीवन का सार समेट लेती है चंद शब्दों में, गौरवगाथा
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Read Moreमैं हिंद की बेटी हिंदी भारत के , उज्जवल माथे की। मैं ओजस्वी …बिंदी हूँ। मैं हिंद की बेटी …हिंदी
Read Moreजीवन व्याधियों मुझे काट खाने को दौड़ती रहे मैं फिर भी तुम में लीन रहूं। सुख की अनुभूतियां मुझे हर
Read Moreमैं हार गया आया न सलीका जीतने का मुझको जीत के लिए साम दाम भेद दंड सभी अपनाए जाते हैं
Read Moreकवि, तुम क्या हो? (कविता) कवि तुम पुजारी हो दृश्य के अदृश्य के कथ्य के श्रव्य के सत्यम् के शिवम्
Read Moreबेशर्म आदमी! हो तुम,आज यह भी दुनिया ने बोल दिया, ऐतबार था जिन पर मुझे उन्होने भी राज अपना खोल
Read Moreगुमसुम हो अगर कोई साथी तो पुकारना जरूर अपनों से हो जंग तो हारना जरूर चुप रह जाए वो अगर
Read Moreनिकला तलाशें सकूं जाके इधर उधर जो देखा हर जगह बैचेन आदमी को देखा जिसको भी देखा ढूंढ़ते सकूं को
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